भारत और श्री लंकां के बीच दंाबुला मे ेचल रहा टृवन्टी - २० कि्रकेट मैच रोमाचक स्थिति में था , १२ साल की गुडिया मेरे साथ बैठी मैच देख रही थी हालांकि कि्रकेट का उसे इतना ज्ञान नही था मै टीवी स्क्रीन पे आखें गडाए उत्सूकता मे था ।
श्‘‘पापा ........ क्या इंडिया जीतेगा ? ‘‘
‘‘बेटा ! पता नही मगर मैच जबर्दस्त रोमांचक हो रहा हैं भारत के दो विकेट बाकी है और अब अन्तिम चार गेंदो पर दो रन बनाने है‘‘
मलिंगा ने गेंद फेकी जहीर खान ने स्टृोक खेला मगर दुभाग्र्य जयसूर्या ने चार कदम तेजी से आगे बढा शानदार केच ले लिया; खचाखच भरे स्टेडियम में खामोश बैठे दर्शको में इस कैच आउट ने जबर्दस्त जोश भर दिया ।
‘‘पापा अब क्या इंडिया जीतेगा ?‘‘
‘‘हो सकता है‘‘
मलिंगा ने तीसरी गेंद फेकी नए बल्लेबाज ईशान्त शर्मा ने हुक किया मगर रन नही बन पाया
अब दो गेंद दो रन............. मेरी धडकने तेज हो रही थी
‘‘पापा सीरियस क्यूं हो गए.......... चाय ठण्डी हो रही है ना ?‘‘
‘‘बेटा हमें जीतने के लिए दो गेदों पे दो रन चाहिए मैच का रिजल्ट कुछ भी हो सकता हैं ।‘‘
‘‘पापा अगर में प्रे करू तो इडियां जीत जाएगा ?‘‘
‘‘मन से की गई प्रार्थना का असर तो होता ह है ‘‘
मेरे जवाब से पहले ह वो प्रार्थना भाव मे बैठ गई तभी स्क्रीन पे पवेलियन का एक दृश्य दिखाया जिसमे एक लडकी भी प्रार्थना भाव मे बैठी थी
मंलिंगा ने सैकिण्ड लास्ट गेंद फेकी ईशान्त शर्मा ने हल्का सा पुश किया और तेजी से दौड कर एक रन बना लिया मैच बराबरी पे आ गया
दर्शको का जोश परवान पे था अब एक गेंद और एक रन बस जीत.............. मलिंगां ने अन्तिम गेद फेकी भज्जी ने बल्ला चलाया मगर गेदं बल्ले को छु नही पायी, मैच टाई हो गया...... मुझे लगा शायद दो प्रार्थनाए आपस मे टकरा गई।
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“माँ सरस्वती-शारदा”
ॐ श्री गणेशाय नमः !
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना |
याब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाढ्यापहा ||
या कुंदेंदु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
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- Narendra Vyas
- मन की उन्मुक्त उड़ान को शब्दों में बाँधने का अदना सा प्रयास भर है मेरा सृजन| हाँ, कुछ रचनाएँ कृत्या,अनुभूति, सृजनगाथा, नवभारत टाईम्स, कुछ मेग्जींस और कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई हैं. हिन्दी साहित्य, कविता, कहानी, आदि हिन्दी की समस्त विधाएँ पढने शौक है। इसीलिये मैंने आखर कलश शुरू किया जिससे मुझे और अधिक लेखकों को पढने, सीखने और उनसे संवाद कायम करने का सुअवसर मिले। दरअसल हिन्दी साहित्य की सेवा में मेरा ये एक छोटा सा प्रयास है, उम्मीद है आप सभी हिन्दी साहित्य प्रेमी मेरे इस प्रयास में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।
Sunil jiki laghukathayein bahut hi mukhrit aur margdarshak lagi. sanwaad kahin kahin unhein aur adhik sajeev kar gaye hain. Badhayi
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